शुक्रवार, 30 अप्रैल 2010

स शक्त भारतीय मुस्लमान फिर अरब की मूह ताकि क्यों ?

आज अरब के निवासियों के पास अरबो डॉलर हे हे,तेल के कूवे हे ,उनके हरमो में सेंकडो विदेसी दासिया हे,दुबई जेसे शहर हे( जन्हा पवित्र कहलाने वाले अरब में ,aisaकोई गलीच कर्म नहीं बचा हे जो दुबई में नहीं होता हो)शेखो के पास हजारो लिटर प्याज का रस हे(रस का सेवन कर ,शेख ८० साल में भी जवान रहते हे ) ,मतलब दुनिया की सभी ऐशो आराम की चीजे हे उनके पास हे ,लकिन उनके पास ऐसी कोई उपलब्धी नहीं हे ,जिस से संसार का भला हुआ हे ,उनके पास darstee कोण नहीं हे ,किसी भी तरह का ?जो भी तड़क भड़क दिखती हे सब विदेशियों की मेहरबानी हे |
फिर क्यों आम भारतीय मुस्लिम अरबो की तरफ मूह क्यों ताकता हे ,उनकी मेहरबानी को तरसता हे ,कारन? क्योकि अरबो की नजरो भारतीय मुस्लिम दोयम दर्जे के हे ,उनकी नजरो मिलावटी खून के हे |जबकि सिक्षा ,महनत ,ज्ञान ,में उनसे कई गुना आगे हे भारतीय मुसलमान,|जब मुस्लिम अरब से आये थे तो वहशी थे ,यंहा आके उनका स्वार्गीन विकास हुआ ,इस पवित्र धरा से उनको ज्ञान मिला ,माँ बाप और परिवार का आदर करना सीखे वो यंहा आके .,,भारतीय हिन्दू धरम से से उनके लोगो ने रूहानी शक्तियों के मालिक बने ,सूफी संत पैदा हुवे ,मजारो पर माथा टेकना सिखाया ,,अगर बाती फूल बाती करना सिखाया |भारत की बिगड़ी ओलाद पाकिस्तान ,जो की भारत का ही हिसा हे आज मुस्लिम जगत का नेता बन बेठा हे ,किसके कारन हिन्दुस्तान के कारन , अरबो रहमो करम की खातिर पता नहीं भारतीय महादीप के मुस्लिम ,,क्या नहीं करते यंहा तक की ८० वर्ष के शेखो के साथ अपनी बेटियों की शादी केर देते हे |केवल उनके रहमो कर्म की खातिर ????
आज मुस्लिम जगत को आवशयकता हे अपनी मानसिकता को चेंज करने की ,देवबंद जेसे संस्थान इनका मनोस्थिति को भर्मित करते रहते हे ,जो मुस्लिम आसानी से बहक जाते हे की अपनी जन्म भूमि को नमन करना इस्लाम में हराम हे ,वो फिर उस धरती खुद को जूडा हुआ महसूस नहीं करते हे |अरबो के रहमो करम पर ये संस्थान चलते हे ,उन अरबो का आदेश इनकी सर आँखों पर होता हे ,लकिन इस से आम मुस्लिम का कोई भला नहीं होता हे ,उल्टा ऐसे पर्यास उन्हें संधिघ्द बना देते हे |

3 टिप्‍पणियां:

  1. @ बेटे "हर हर महादेव"
    तुम्हे पहले भी कहा था की मैं जमाल भाई की तरह तुम्हारा एक भी बेहूदा कमेन्ट अपने blog पर रहने नहीं दूंगा.तुमने एक बार फिर साबित कर दिया की "कुत्ते की दुम हमेशा टेढ़ी ही रहती है " और तुम जैसों को सीधा करना मुझे आता है, मुझे दुःख है की तुम्हारे जैसे "धर्मांध" लोग इस ब्लॉग जगत में भी घुस गयें हैं लेकिन चिंता मत करो "हर कुत्ते का दिन आता है", तुम्हारा भी आएगा और वो दिन मैं खुद लाऊंगा,तुम्हे एक बार तो नंगा मैं अपने blog पर कर चूका हूँ लेकिन फिर तुम्हारे comment पढने के बाद मुझे लगा था की शायद तुम्हारा ह्रदय-परिवर्तन हो गया है और तुम मुझसे सही शब्दों में एक सार्थक debate करना चाहते हो लेकिन तुमने फिर से अपशब्दों का प्रयोग करके "शिशुपाल" की तरह अपने सारे chance ख़त्म कर लिए हैं,
    मैं तुम्हारी तरह अपशब्दों का प्तायोग करके अपने मूंह को गन्दा नहीं करना चाहता था लेकिन तुमने मुझे मजबूर कर दिया है और फिर गन्दगी को साफ़ करने के लिए हमें अपना हाथ भी गन्दा तो करना ही पड़ता है,तुम्हारी जैसे गन्दगी भी दूर होगी और ज़रूर होगी, रावण हमेशा राम से हारा था और हारेगा,तुम चिंता मत करो हर "कुत्ते" की तरह तुम्हारा भी दिन आएगा .

    महक

    जवाब देंहटाएं
  2. vaakai me kutte ki dum tedhi hi rahti hai, badboo kyonki mahak tum ho hi nahi...

    जवाब देंहटाएं