वर्तमान में मुस्लिमो के कथीत rastrvad और राजनितिक उद्देश्य पर जो बहस हो रही वह स्तरीय नहीं हे|यदी मुस्लिमो के विद्वानों के मत ,और उनके विचार ओ को ध्यान पुर्वक देखा जाये तो स्थिति बिलकूल उल्ट नजर आएगी और ख़तरनाक भी |
सभी देशी विदेशी मुस्लिम विद्वान् इस्लाम को एक रास्त्र मानते हे ,भारतीय हिन्दू नेत्र्तव की यह हठ की
यह सिदान्त झूठा और पूर्व हग्ढ़ से कम नहीं हे |इस्लामी सिधांत के अनुसार पर्त्येक भारतीय मुसलमान सभी मुस्लिम देशो का नागरिक हे ,इस लिए उसकी निष्ठां भारत के परती न हो कर इन मुस्लिम देशो के परती हे |मुस्लिम विद्वान् मदनी के अनुसार भारत दारूल हर्ब हे ,सभी विद्वानों के अनुसार दारुल इस्लाम नहीं हे|
मोदुदी का निश्चित मत हे कि ""इस्लाम और नशने लिजम दोनों उदेश्य के लिहाज से एक दुसरे के विरोधी हे |जन्हा रस्त्रियता वंहा इस्लाम कभी भी नहीं फल सकता हे ,जन्हा इस्लाम हे वंहा रस्त्रियता को कोई जगह नहीं हे ""
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shriman ji apke blog padne me paresani ho rahi hai. kripya ise thik kare. sath hi kuchh vistar bhi de to behtar hoga.
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